नक्षत्र – पुष्य, अश्विनी, हस्त,स्वाति, पुनर्वसु, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, आर्द्रा, मूल,आश्लेषा, कृत्तिका, भरणी, मघा, विशाखा, पूर्वाफल्गुनी, पूर्वाषाढा, पूर्वाभाद्रपदा, चित्रा, रेवती और मृगशिरा नक्षत्र में बालक का विद्यारम्भ संस्कार करना चाहिये।
वार – बृहस्पतिवार शुक्रवार और रविवार को बालक का विद्यारम्भ संस्कार करना चाहिये।
केन्द्र और त्रिकोणस्थान में शुभ ग्रह होने पर बालक का विद्यारम्भ संस्कार करना चाहिये।
अनध्याय का दिन परित्याग करके बालक का विद्यारम्भ संस्कार करना चाहिये।
पांचवें वर्ष में बालक का विद्यारम्भ संस्कार करना चाहिये।
बृहस्पति के उदय में बालक का विद्यारम्भ संस्कार करना चाहिये।
श्री हरि के जाग्रत्समय में बालक का विद्यारम्भ संस्कार करना चाहिये।